पिछले 40 सालो में पहली बार बना है श्रावण महीने में ये संयोग- शिव पूजा से घर में आयेगी खुसिया ही खुसिया
इस बार पवित्र मास सावन जो की भगवान शिव को अतिप्रिय हे उसका अति महत्व है क्यों की ये योग पुरे 40 सालो में पहेली बार आया है. इस बार भगवान् शिव की पूजा करने से आपकी साड़ी मनोकामना पूरी होगी. इस बार सावन महीने की सुरुआत सोमवार से होगी और सावन महीने का समापन भी सोमवार से होगा मतलब इस बार सावन महीने में पांच सोमवार है. और यह काफी फल दायक होगा | इस बार सावन की सुरुआत २४ जुलाई से होगी और ७ अगस्त को पूर्णिमा है यानि के रक्षाबंधन और १५ अगस्त को जनमास्थ्मी है और स्वतंत्र्य दिवस भी है और २१ अगस्त को सोमवार को सावन महीने का समापन है |
प्रख्यात सोमनाथ के राजेस्वर महादेव के पुजारी श्री विष्णु महाराज और एक ज्योतिष के जानकर पूज्य श्री गंगाधर के अनुसार काफी सालो के बाद सावन के पांच सोमवार है और सावन सुरुआत और समापन भी सोमवार को होगा जो बहुत ही सुभ है और खास बात ये है की सावन की सुरुआत वैधुति योग के साथ हो रही है जो बहुत बहुत ही सुभ मन जाता है. और आयुष्मान योग के साथ इसकी समाप्ति होगी | सोमवार, सावन मास,वैधुति योग,आयुष्मान योग सभी शिव जी को अति प्रिय है. सावन मास में भगवान शिव की स्तुति, पूजा,अभिषेक,और मंत्र जप का बड़ा ही महत्व हमारे पुरानो में बताया गया है| लोग सावन में पूरा महिना उपवास करते है और सावन का आनंद लेते है. सावन में खास कर सोमवार को शिव पूजा का बड़ा महत्व है.
सोमवार को शिव की पूजा से शिव और शक्ति दोनों प्रसन्न होते है. और उनकी कृपा से तो दैहिक दैविक और भौतिक कस्तो से मुक्ति मिलती है मित्रो सभी को दैहिक, दैविक और भौतिक तीन तरह के कस्त होते है जो शिव और शक्ति की भक्ति से अपने आप दूर हो जाती है. निर्धन को धन और निःसंतान को संतान प्राप्ति होती है साथ ही अगर कुँवारी कन्याए सावन में शिव की पूजा करती है तो उन्हें मनचाहा वर मिलता है और भोले बाबा की पूजा और कृपा द्रष्टि से भाग्य बदल जाता हे.
अकाल मृत्यु वह मरे जो काम करे चांडाल का
काल उसका क्या बिगाड़े जो भक्त हो महाकाल का
हर हर महादेव जय श्री महाँकाल
सावन मेंअक्शर चार सोमवार होते है लेकिन इस बार पांच सोमवार है जिसे सोमवारी भी कहते है. सावन में सोमवारी का बड़ा महत्व है और सभी सोमवार को अलग अलग तरीके से पूजा का बड़ा ही महत्व है.
सच्चे मन से शिव की पूजा करने से उनकी कृपा सदेव भक्तो पर बनी रहती है.
पहेले सोमवार को महामायाधारी आदिनाथ की पूजा के साथ भक्तो को
ऊं लक्ष्मी प्रदाय ह्री ऋण मोचने श्री देहि-देहि शिवाय नम:
इस मंत्र के ११ माला जाप को जप ने से लक्ष्मी की प्राप्ति, व्यापार में वृद्धि और ऋण से मुक्ति मिलती है।
दुसरे सोमवार को महाकालेश्वर महादेव की पूजा का बड़ा विशेष महत्व है |
भक्तो को
‘ऊं महाशिवाय वरदाय हीं ऐं काम्य सिद्धि रुद्राय नम:
मंत्र का जाप ११ बार रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए जिससे सुखी गृहस्थ जीवन, पारिवारिक कलह से मुक्ति, पितृ दोष व तांत्रिक दोष से मुक्ति मिलती है।
तीसरे सोमवार को शिव जी के अर्धनारीश्वर स्वरूप की पूजा का बड़ा ही महत्व है. तीसरे सोमवार को
‘ऊं महादेवाय सर्व कार्य सिद्धि देहि-देहि कामेश्वराय नम:
मंत्र का जाप भी आपको ११ माला जाप से करना है इसे अति सुभ मन गया है.जिससे व्यक्ति को अखंड सौभाग्य, पूर्ण आयु, संतान प्राप्ति, संतान की सुरक्षा, कन्या विवाह, अकाल मृत्यु निवारण व आकस्मिक धन की प्राप्ति होती है।
चोथे सोमवार को त्रय्म्बकेस्वर महादेव की पूजा का बड़ा ही विशेस महत्व है. इस सोमवार को
‘ऊं रुद्राय शत्रु संहाराय क्लीं कार्य सिद्धये महादेवाय फट्
मंत्र का जाप ११ माला जाप से करना चाहिए जिससे समस्त बाधाओं का नाश, अकाल मृत्यु से रक्षा, रोग से मुक्ति व सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
पांचवे सोमवार को शिव स्वरूप,शांत स्वरूप, चंद्रधारी भोलेबाबा की पूजा की जाती है. इस दिन अत्रेस्वर महादेव का भी बड़ा महत्व है. जो लोग सावन में कोई सोमवार को उपवास और पूजा नहीं कर पाए हो वो इस पांच वे सोमवार को पूजा करके भोले बाबा को खुस कर शक्त है. उसे भी मनो इच्छित फल मिलता है.
सावन के अंतिम सोमवार को रुद्राभिषेक, लघु रुद्री, मृत्युंजय या लघु मृत्युंजय का जाप करना चाहिए। और पूजा में भक्तो को : गंजा जल, दूध, शहद, घी, शर्करा व पंचामृत से बाबा भोले का अभिषेक कर वस्त्र, यज्ञो पवित्र, श्वेत और रक्त चंदन भस्म, श्वेत मदार, कनेर, बेला, गुलाब पुष्प, बिल्वपत्र, धतुरा, बेल फल, भांग आदि चढ़ायें। उसके बाद घी का दीप उत्तर दिशा में जलाएं। पूजा करने के बाद आरती कर क्षमार्चन करें।
जिनके रोम-रोम में शिव हैं वही विष पिया करते हैं, जमाना उन्हें क्या जलाएगा , जो श्रृंगार ही अंगार से किया करते हैं….जय भोलेनाथ….
अगर आप पूरा सावन महिना उपवास रखते है और शिव की पूजा करते है तो आपको महादेव की कृपा अवश्य प्राप्त होगी |
1. समस्ता बाधाओं से मुक्ति।
2. आरोग्यता
3. नौकरी की प्राप्ति
4. नवीन कार्य की पूर्ति
5. कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर की प्राप्ति
6. संतान सुख की प्राप्ति
7. ग्रहों से शांति
8. शक्ति में बढ़ोतरी 4. मनोवांछित फल की प्राप्ति
9. अकाल मृत्यु और भय से मुक्ति
10. शरीर में अद्भूत ऊर्जा की अनुभूति
11. रोगों से मिलती है मुक्ति
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